होम
हमसे संपर्क करें
हिन्दी
KJV
தமிழ்
తెలుగు
ಕನ್ನಡ
जकर्याह
उत्पत्ति
निर्गमन
लैव्यव्यवस्था
गिनती
व्यवस्थाविवरण
यहोशू
न्यायियों
रूत
1 शमूएल
2 शमूएल
1 राजा
2 राजा
1 इतिहास
2 इतिहास
एज्रा
नहेमायाह
एस्तेर
अय्यूब
भजन संहिता
नीति वचन
सभोपदेशक
श्रेष्ठगीत
यशायाह
यिर्मयाह
विलापगीत
यहेजकेल
दानिय्येल
होशे
योएल
आमोस
ओबद्दाह
योना
मीका
नहूम
हबक्कूक
सपन्याह
हाग्गै
जकर्याह
मलाकी
मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
प्रेरितों के काम
रोमियो
1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
गलातियों
इफिसियों
फिलिप्पियों
कुलुस्सियों
1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
1 तीमुथियुस
2 तीमुथियुस
तीतुस
फिलेमोन
इब्रानियों
याकूब
1 पतरस
2 पतरस
1 यूहन्ना
2 यूहन्ना
3 यूहन्ना
यहूदा
प्रकाशित वाक्य
7
1
2
3
4
5
6
7
8
9
10
11
12
13
14
1
फिर दारा राजा के चौथे वर्ष में किसलेव नाम नौवें महीने के चौथे दिन को, यहोवा का वचन जकर्याह के पास पहुंचा।
2
बेतेलवासियों ने शरेसेर और रेगेम्मेलेक को इसलिये भेजा था कि यहोवा से बिनती करें,
3
और सेनाओं के यहोवा के भवन के याजकों से और भविष्यद्वक्ताओं से भी यह पूछें, क्या हमें उपवास करके रोना चाहिये जैसे कि कितने वर्षों से हम पांचवें महीने में करते आए हैं?
4
तब सेनाओं के यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा;
5
सब साधारण लोगों से और याजकों से कह, कि जब तुम इन सत्तर वर्षों के बीच पांचवें और सातवें महीनों में उपवास और विलाप करते थे, तब क्या तुम सचमुच मेरे ही लिये उपवास करते थे?
6
और जब तुम खाते- पीते हो, तो क्या तुम अपने ही लिये नहीं खाते, और क्या तुम अपने ही लिये नहीं पीते हो?
7
क्या यह वही वचन नहीं है, जो यहोवा अगले भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा उस समय पुकारकर कहता रहा जब यरूशलेम अपने चारों ओर के नगरों समेत चैन से बसा हुआ था, और दक्खिन देश और नीचे का देश भी बसा हुआ था?
8
फिर यहोवा का यह वचन जकर्याह के पास पहुंचा, सेनाओं के यहोवा ने यों कहा है,
9
खराई से न्याय चुकाना, और एक दूसरे के साथ कृपा और दया से काम करना,
10
न तो विधवा पर अन्धेर करता, न अनाथों पर, न परदेशी पर, और न दीन जन पर; और न अपने अपने मन में एक दूसरे की हानि की कल्पना करना।
11
परन्तु उन्हों ने चित्त लगाना न चाहा, और हठ किया, और अपने कानों को मूंद लिया ताकि सुन न सकें।
12
वरन उन्हों ने अपने हृदय को इसलिये बज्र सा बना लिया, कि वे उस व्यवस्था और उस वचनों को न मान सकें जिन्हें सेनाओं के यहोवा ने अपने आत्मा के द्वारा अगले भविष्यद्वक्ताओं से कहला भेजा था। इस कारण सेनाओं के यहोवा की ओर से उन पर बड़ा क्रोध भड़का।
13
और सेनाओं के यहोवा का यह वचन हुआ, कि जैसे मेरे पुकारने पर उन्हों ने नहीं सुना, वैसे ही उसके पुकारने पर मैं भी न सुनूंगा;
14
वरन मैं उन्हें उन सब जातियों के बीच जिन्हें वे नहीं जानते, आंधी के द्वारा तितर- बितर कर दूंगा, और उनका देश उनके पीछे ऐसा उजाड़ पड़ा रहेगा कि उस में किसी का आना जाना न होगा; इसी प्राकर से उन्हों ने मनोहर देश को उजाड़ कर दिया।।
‹
›