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प्रकाशित वाक्य
1
1
2
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4
5
6
1
पौलुस की ओर से जो हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर, और हमारी आशा- स्थान मसीह यीशु की आज्ञा से मसीह यीशु का प्रेरित है, तिमुथियुस के नाम जो विश्वास में मेरा सच्चा पुत्रा है।।
2
पिता परमेश्वर, और हमारे प्रभु मसीह यीशु से, तुझे अनुग्रह और दया, और शान्ति मिलती रहे।।
3
जैसे मैं ने मकिदुनिया को जाते समय तुझे समझाया था, कि इफिसुस में रहकर कितनों को आज्ञा दे कि और प्रकार की शिक्षा न दें।
4
और उन ऐसी कहानियों और अनन्त वंशावलियों पर मन न लगाएं, जिन से विवाद होते हैं; और परमेश्वर के उस प्रबन्ध के अनुसार नहीं, जो विश्वास से सम्बन्ध रखता है; वैसे ही फिर भी कहता हूं।
5
आज्ञा का सारांश यह है, कि शुद्ध मन और अच्छे विवेक, और कपटरहित विश्वास से प्रेम उत्पन्न हो।
6
इन को छोड़कर कितने लोग फिरकर बकवाद की ओर भटक गए हैं।
7
और व्यवस्थापक तो होना चाहते हैं, पर जो बातें कहते और जिन को दृढ़ता से बोलते हैं, उन को समझते भी नहीं।
8
पर हम जानते हैं, कि यदि कोई व्यवस्था को व्यवस्था की रीति पर काम में लाए, तो वह भली है।
9
यह जानकर कि व्यवस्था धर्मी जन के लिये नहीं, पर अधर्मियों, निरंकुशों, भक्तिहीनों, पापीयों, अपवित्रों और अशुद्धों, मां- बाप के घात करनेवालों, हत्यारों।
10
व्याभिचारियों, पुरूषगामियों, मनुष्य के बेचनेवालों, झूठों, और झूठी शपथ खानेवालों, और इन को छोड़ खरे उपदेश के सब विरोधियों के लिये ठहराई गई है।
11
यही परमधन्य परमेश्वर की महिमा के उस सुसमाचार के अनुसार है, जो मुझे सौंपा गया है।।
12
और मैं, अपने प्रभु मसीह यीशु का, जिस ने मुझे सामर्थ दी है, धन्यवाद करता हूं; कि उस ने मुझे विश्वासयोग्य समझकर अपनी सेवा के लिये ठहराया।
13
मैं तो पहिले निन्दा करनेवाला, और सतानेवाला, और अन्धेर करनेवाला था; तौभी मुझ पर दया हुई, क्योंकि मैं ने अविश्वास की दशा में बिन समझे बूझे, ये काम किए थे।
14
और हमारे प्रभु का अनुग्रह उस विश्वास और प्रेम के साथ जो मसीह यीशु में है, बहुतायत से हुआ।
15
यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है, कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया, जिन में सब से बड़ा मैं हूं।
16
पर मुझपर इसलिये दया हुई, कि मुझ सब से बड़े पापी में यीशु मसीह अपनी पूरी सहनशीलता दिखाए, कि जो लोग उस पर अनन्त जीवन के लिये विश्वास करेंगे, उन के लिये मैं एक आदर्श बनूं।
17
अब सनातन राजा अर्थात् अविनाशी अनदेखे अद्वैत परमेश्वर का आदर और महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।।
18
हे पुत्रा तीमुथियुस, उन भविष्यद्ववाणियों के अनुसार जो पहिले तेरे विषय में की गई थीं, मैं यह आज्ञा सौंपता हूं, कि तू उन के अनुसार अच्छी लड़ाई को लड़ता रहे।
19
और विश्वास और उस अच्छे विवेक को थामें रहे जिसे दूर करने के कारण कितनों का विश्वास रूपी जहाज डूब गया।
20
उन्हीं में से हुमिनयुस और सिकन्दर हैं जिन्हें मैं ने शैतान को सौंप दिया, कि वे निन्दा करना न सीखें।।
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