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जब यरदन के पच्छिम की ओर रहनेवाले एमोरियों के सब राजाओं ने, और समुद्र के पास रहनेवाले कनानियों के सब राजाओं ने यह सुना, कि यहोवा ने इस्राएलियों के पार होने तक उनके साम्हने से यरदन का जल हटाकर सुखा रखा है, तब इस्राएलियों के डर के मारे उनका मन घबरा गया, और उनके जी में जी न रहा।।
2
उस समय यहोवा ने यहोशू से कहा, चकमक की छुरियां बनवाकर दूसरी बार इस्राएलियों का खतना करा दें।
3
तब यहोशू ने चकमक की छुरियां बनवाकर खलड़ियां नाम टीले पर इस्राएलियों का खतना कराया।
4
और यहोशू ने जो खतना कराया, इसका कारण यह है, कि जितने युद्ध के योग्य पुरूष मि से निकले थे वे सब मि से निकलने पर जंगल के मार्ग में मर गए थे।
5
जो पुरूष मि से निकले थे उन सब का तो खतना हो चुका था, परन्तु जितने उनके मि से निकलने पर जंगल के मार्ग में उत्पन्न हुए उन में से किसी का खतना न हुआ था।
6
क्योंकि इस्राएली तो चालीस वर्ष तक जंगल में फिरते रहे, जब तक उस सारी जाति के लोग, अर्थात् जितने युद्ध के योग्य लोग मि से निकले थे वे नाश न हो गए, क्योंकि उन्हों ने यहोवा की न मानी थी; सो यहोवा ने शपथ खाकर उन से कहा था, कि जो देश मैं ने तुम्हारे पूर्वजों से शपथ खाकर तुम्हें देने को कहा था, और उस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, वह देश मैं तुम को नहीं दिखाने का।
7
तो उन लोगों के पुत्रा जिन को यहोवा ने उनके स्थान पर उत्पन्न किया था, उनका खतना यहोशू से कराया, क्योंकि मार्ग में उनके खतना न होने के कारण वे खतनारहित थे।
8
और जब उस सारी जाति के लोगों का खतना हो चुका, तब वे चंगे हो जाने तक अपने अपने स्थान पर छावनी में रहे।
9
तब यहोवा ने यहोशू से कहा, तुम्हारी नामधराई जो मिस्त्रियों में हुई है उसे मैं ने आज दूर की है। इस कारण उस स्थान का नाम आज के दिन तक गिलगाल पड़ा है।।
10
सो इस्राएली गिलगाल में डेरे डाले हुए रहे, और उन्हों ने यरीहो के पास के अराबा में पूर्णमासी की सन्ध्या के समय फसह माना।
11
और फसह के दूसरे दिन वे उस देश की उपज में से अखमीरी रोटी और उसी दिन से भुना हुआ दाना भी खाने लगे।
12
और जिस दिन वे उस देश की उपज में से खाने लगे, उसी दिन बिहान को मन्ना बन्द हो गया; और इस्राएलियों को आगे फिर कभी मन्ना न मिला, परन्तु उस वर्ष उन्हों ने कनान देश की उपज में से खाई।।
13
जब यहोशू यरीहो के पास था तब उस ने अपनी आंखें उठाई, और क्या देखा, कि हाथ में नंगी तलवार लिये हुए एक पुरूष साम्हने खड़ा है; और यहोशू ने उसके पास जाकर पूछा, क्या तू हमारी ओर का है, वा हमारे बैरियों की ओर का?
14
उस ने उत्तर दिया, कि नहीं; मैं यहोवा की सेना का प्रधान होकर अभी आया हूं। तब यहोशू ने पृथ्वी पर मुंह के बल गिरकर दण्डवत् किया, और उस से कहा, अपने दास के लिये मेरे प्रभु की क्या आज्ञा है?
15
यहोवा की सेना के प्रधान ने यहोशू से कहा, अपनी जूती पांव से उतार डाल, क्योंकि जिस स्थान पर तू खड़ा है वह पवित्रा है। तब यहोशू ने वैसा ही किया।।
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