दैनिक मन्ना

मैं शहरपनाह थी और मेरी छातियां उसके गुम्मट; तब मैं अपने प्रेमी की दृष्टि में शान्ति लानेवाले के नाईं थी।।

श्रेष्‍ठगीत 8:10