जब जब याजक लोग भीतर जाएंगे, तब तब निकलने के समय वे पवित्रास्थान से बाहरी आंगन में यों ही न निकलेंगे, अर्थात् वे पहिले अपनी सेवा टहल के वस्त्रा पवित्रास्थान में रख देंगे; क्योंकि ये कोठरियां पवित्रा हैं। तब वे और वस्त्रा पहिनकर साधारण लोगों के स्थान में जाएंगे।