उसके याजकों ने मेरी व्यवस्था का अर्थ खींचखांचकर लगाया है, और मेरी पवित्रा वस्तुओं को अपवित्रा किया है; उन्हों ने पवित्रान्अपवित्रा का कुछ भेद नहीं माना, और न औरों को शुद्ध- अशुद्ध का भेद सिखाया है, और वे मेरे विश्रामदिनों के विषय में निश्चिन्त रहते हैं, जिस से मैं उनके बीच अपवित्रा ठहरता हूँ।