और उस बड़ाई के कारण जो उस ने उसको दी थी, देश- देश और जाति जाति के सब लोग, और भिन्न- भिन्न भाषा बोलनेवाले उसके साम्हने कांपते और थरथराते थे, जिसे वह चाहता उसे वह घात करता था, और जिसको वह चाहता उसे वह जीवित रखता था जिसे वह चाहता उसे वह ऊंचा पद देता था, और जिसको वह चाहता उसे वह गिरा देता था।