जब एक एक कन्या की बारी हुई, कि वह क्षयर्ष राजा के पास जाए, ( और यह उस समय हुअ जब उसके साथ स्त्रियों के लिये ठहराए हुए नियम के अनुसार बारह माह तक व्यवहार किया गया था; अर्थात् उनके शुठ्ठ करने के दिन इस रीति से बीत गए, कि छे माह तक गन्धरस का तेल लगाया जाता था, और छे माह तक सुगन्धदव्य, और स्त्रियों के शुठ्ठ करने का और और सामान लगाया जाता था ) ।